द्वितीय उपदेश कुम्भक, ( प्राणायाम ) व षट्कर्म वर्णन अथासने दृढे योगी वशी हितमिताशन: । गुरूपदिष्टमार्गेण प्राणायामान् समभ्यसेत ।। 1 ।। भावार्थ :- आसन का अभ्यास मजबूत हो जाने पर योगी को अपनी इन्द्रियों को वश में करके हितकारी व थोड़ी मात्रा वाला भोजन करना चाहिए । इसके बाद वह गुरु के …
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- Category: hatha pradipika 2