भगवान शिव को नमस्कार नमः शिवाय गुरवे नादबिन्दुकलात्मने । निरञ्जनपदं याति नित्यं यत्र परायण: ।। 1 ।। भावार्थ :- जिस परम गुरु के प्रति निरन्तर समर्पित भाव से भक्ति करने मात्र से साधक को परमपद अर्थात् समाधि की प्राप्ति हो जाती है । उन नाद बिन्दु व कला स्वरूप गुरु भगवान शिव को …
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- Category: hatha pradipika 4