आहार-विहार व व्यवहार के बदलाव से होगा नववर्ष शुभ                       डॉ० सोमवीर आर्य युक्ताहारविहारस्य युक्तचेष्टस्य कर्मसु।युक्तस्वप्नावबोधस्य योगो भवति दु:खहा।। ( गीता : अ.-6, श्लोक-17 ) अर्थात् योग किसका सिद्ध होता है? जिसका आहार-विहार नियमित है, अर्थात जो सदा भोजन व व्यवहार करने में अनुशासित रहता है, कर्मों में जिसकी चेष्टा नियमित है अर्थात जो सभी

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Aahar – Vihar & Vyavhaar (Yogic Dietary Habits)

    वैदिक परिप्रेक्ष्य में ध्यान                       डॉ० सोमवीर आर्य ध्यान शब्द भी लगभग उतना ही प्रचलित है, जितना कि योग शब्द । इसी कारण बहुत सारे लोग ध्यान करने को ही योग समझते हैं । आज किसी से भी पूछो; कि ध्यान क्या होता है? तो उत्तर आएगा, कि किसी एकांत स्थान पर बैठकर, आँखें बन्द कर

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Meditation