आहार-विहार व व्यवहार के बदलाव से होगा नववर्ष शुभ डॉ० सोमवीर आर्य युक्ताहारविहारस्य युक्तचेष्टस्य कर्मसु।युक्तस्वप्नावबोधस्य योगो भवति दु:खहा।। ( गीता : अ.-6, श्लोक-17 ) अर्थात् योग किसका सिद्ध होता है? जिसका आहार-विहार नियमित है, अर्थात जो सदा भोजन व व्यवहार करने में अनुशासित रहता है, कर्मों में जिसकी चेष्टा नियमित है अर्थात जो सभी …
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- Category: Research Papers