छठा अध्याय ( आत्मसंयम योग ) इस अध्याय में योग में सहायता प्रदान करने वाले कारकों का वर्णन करते हुए कहा है कि मनुष्य स्वयं ही अपनी आत्मा का मित्र व शत्रु होता है । व्यक्ति को सदैव अपनी आत्मा का उत्थान करना चाहिए । इसके लिए उसे अपनी इन्द्रियों को उनके विषयों से विमुख …
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- Category: Bhagwad Geeta – 6