तेरहवां अध्याय ( क्षेत्र-क्षेत्रज्ञविभागयोग ) इस अध्याय में मुख्य रूप से क्षेत्र ( शरीर ) व क्षेत्रज्ञ ( आत्मा ) के स्वरूप का वर्णन कुल चौतीस ( 34 ) श्लोकों के माध्यम से किया गया है । सबसे पहले श्रीकृष्ण क्षेत्र व क्षेत्रज्ञ को समझाते हुए कहते हैं कि इस शरीर को क्षेत्र व आत्मा …
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- Category: Bhagwad Geeta – 13