क्षेत्र का स्वरूप
महाभूतान्यहङ्कारो बुद्धिरव्यक्तमेव च ।
इन्द्रियाणि दशैकं च पञ्च चेन्द्रियगोचराः ।। 5 ।।
इच्छा द्वेषः सुखं दुःखं सङ्घातश्चेतना धृतिः ।
एतत्क्षेत्रं समासेन सविकारमुदाहृतम् ।। 6 ।।
व्याख्या :- पंच महाभूत ( आकाश, वायु, अग्नि, जल व पृथ्वी ), अहंकार, बुद्धि, मन, अव्यक्त प्रकृति, दस इन्द्रियाँ ( पाँच ज्ञानेन्द्रियाँ- पाँच कर्मेन्द्रियाँ ) और पाँच ज्ञानेन्द्रियों के विषय ( शब्द, स्पर्श, रूप, रस और गन्ध )
इच्छा, द्वेष, सुख- दुःख, स्थूल शरीर का पिण्ड, चेतना, धृति; इस प्रकार यह क्षेत्र के पूरे समूह का संक्षिप्त परिचय है ।
विशेष :- परीक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण प्रश्न –
गीता में क्षेत्र के कुल कितने तत्त्वों अथवा अंगों का वर्णन किया गया है ? उत्तर है – चौबीस ( 24 ) ।
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