तस्मिन् सति श्वासप्रश्वासयोर्गतिविच्छेद: प्राणायाम: ।। 49 ।।
शब्दार्थ :- तस्मिन् सति ( उसके बाद अर्थात आसन की सिद्धि के बाद ) श्वास ( पूरक अर्थात प्राणवायु को अन्दर लेने व ) प्रश्वासयो: ( रेचक अर्थात प्राणवायु को बाहर छोड़ने की ) गतिविच्छेद: ( सामान्य गति को अपनी सुविधानुसार रोक देना या स्थिर कर देना ही ) प्राणायाम: ( प्राणायाम कहलाता है । )
सूत्रार्थ :- उस आसन के सिद्ध हो जाने पर अपने श्वास और प्रश्वास की सामान्य गति को रोक देना या स्थिर कर देना ही प्राणायाम कहलाता है ।
व्याख्या :- यह सूत्र प्राणायाम की परिभाषा के रूप में प्रयोग किया जाता है । इसमें केवल श्वास और प्रश्वास की गति के बारे में बताया गया है । कि किस प्रकार हम अपने श्वास और प्रश्वास को नियंत्रित करके प्राणायाम करते हैं ।
सबसे पहले हम श्वास और प्रश्वास को अच्छे से समझ लेते हैं । जिससे इस सूत्र को समझने में आसानी रहेगी ।
श्वास :- जिस प्राणवायु या ऑक्सीजन को हम नासिकाओं के द्वारा शरीर के अन्दर भरते हैं । उस क्रिया को श्वास कहते हैं । प्राणायाम की भाषा में इसे पूरक भी कहते हैं ।
प्रश्वास :- जिस प्राणवायु या कार्बन डाइऑक्साइड को हम नासिकाओं के द्वारा शरीर से बाहर छोड़ते हैं । उस क्रिया को प्रश्वास कहते हैं । प्राणायाम की भाषा में इसे रेचक भी कहते हैं ।
गति :- चलने की अवस्था को गति कहते हैं । यहाँ पर गति शब्द प्राणवायु के चलने को दर्शाता है । एक सामान्य व्यक्ति एक मिनट में पन्द्रह (15) से अठारह (18) श्वास- प्रश्वास पूरे करता है । यह श्वास व प्रश्वास की गति कहलाती है ।
इस सामान्य गति को अपने सामर्थ्य के अनुसार रोक देना या स्थिर कर देना ही प्राणायाम कहलाता है ।
अर्थात हम एक मिनट में जितने श्वसन पूरे करते हैं । उनकी संख्या को अपने नियंत्रण में करना ही प्राणायाम कहलाता है ।
Beautiful explanation thanku sir??
?प्रणाम आचार्य जी! ओ3म् सुन्दर गुरु ज्ञान! धन्यवाद आचार्य जी! ??
बहुत ही सहजता से बतला दिया श्रीमान जी ,
पढ़ते ही याद हो गया।
लाजवाब
जो व्यक्ति योग को अपने जीवन में आत्मसात कर चुका हो उसके लिए कोई बात समझाना मुश्किल नहीं होता विक्की जी।
ॐ गुरुदेव*
इतनी सहजता से आपने प्राणायाम को परिभाषित कर दिया
जो कि शायद ही कभी विस्मृत हो।
I’ll be heighly obliged to you for Thank you so much.
I’ll be heighly obliged to you for that.
Nice line guru ji
?
Thank you sir
Pranaam Sir! A very big thing explained in simple words.
Nice explained about pranayam guru ji.