विष्णु की सर्वत्र विद्यमानता

 

जले विष्णु: स्थले विष्णुर्विष्णु: पर्वतमस्तके ।

ज्वालामालाकुले विष्णु: सर्वं विष्णुमयं जगत् ।। 18 ।।

 

भावार्थ :-  जल में विष्णु, स्थल ( भूमि ) में विष्णु, पर्वत के मस्तक अर्थात् चोटी पर विष्णु, ज्वालासमूह अर्थात् अग्नि में विष्णु का निवास है । यह पूरा जगत अर्थात् संसार विष्णु से युक्त ( परिपूर्ण ) है ।

 

 

विशेष :-  विष्णु का निवास कहाँ- कहाँ माना गया है ? उत्तर है जल, स्थल, पर्वत, अग्नि व सम्पूर्ण संसार में विष्णु का निवास कहा गया है ।

 

 

 

भूचरा: खेचराश्चामी यावन्तो जीवजन्तव: ।

वृक्षगुल्मलतावल्लीतृणाद्या वारि पर्वता: ।

सर्वं ब्रह्म विजानीयात् सर्वं पश्यति चात्मनि ।। 19 ।।

 

भावार्थ :-  भूमि पर घूमने वाले, आकाश में घूमने वाले जीवजन्तु, पेड़, गुल्म, लता ( टहनियाँ ), बेल, समुद्र और पर्वत इन सभी को ब्रह्म का ही अंश जानते हुए सभी को आत्मा में देखना चाहिए ।

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