योगी के लिए खाद्य ( खाने योग्य ) पदार्थ

 

एलाजातिलवङ्गं च पौरुषं जम्बु जाम्बुलम् ।

हरीतकीं च खर्जूरं योगी भक्षणमाचरेत् ।। 27 ।।

लघुपाकं प्रियं स्निग्धं तथा धातुप्रपोषणम् ।

मनोऽभिलषितं योग्यं योगी भोजनमाचरेत् ।। 28 ।।

 

भावार्थ :-  इलायची, लौंग, पका हुआ फालसा, जामुन, जाम्बुल ( जामुन का मोटा रूप अर्थात् जमोया ), हरड़ व खजूर आदि वस्तुओं का सेवन योगी को करना चाहिए ।

इसके अतिरिक्त जल्दी पकने वाले पदार्थ, खाने में अच्छे लगने वाले, चिकने, शरीर की सभी धातुओं को पुष्ट करने वाले पदार्थ, मन को अच्छा लगने वाले योग्य खाद्य पदार्थों का ही सेवन योगी को करना चाहिए ।

 

 

वर्जित खाद्य ( न खाने अथवा त्यागने योग्य ) पदार्थ

 

काठिन्यं दुरितं पूतिमुष्णं पर्युषितं तथा ।

अतिशीतं चातिचोष्णं भक्ष्यं योगी विवर्जयेत् ।। 29 ।।

 

भावार्थ :-  देरी से पकने व पचने वाला, दूषित, सड़ा हुआ, ज्यादा गर्म, ज्यादा ठण्डा अथवा बासी भोजन का सेवन योगी को कभी नहीं करना चाहिए ।

 

 

अन्य वर्जित ( न करने योग्य ) कार्य

  

प्रात: स्नानोपवासादि कायक्लेशविधिं तथा ।

एकाहारं निराहारं यामान्ते च न कारयेत् ।। 30 ।।

 

भावार्थ :-  योगी द्वारा उन सभी कार्यों को नहीं करना चाहिए जिनके करने से शरीर को कष्ट होता हो । जिनमें प्रातः काल में स्नान, उपवास, एक ही समय भोजन करना, भोजन के बिना ही रहना व सायंकाल के बाद भोजन करना आदि सभी कार्यों को त्याग देना चाहिए ।

 

 

प्राणायाम के आरम्भ काल में करने योग्य भोजन

 

एवं विधिविधानेन प्राणायामं समाचरेत् ।

आरम्भे प्रथमं कुर्यात् क्षीराज्यं नित्यभोजनम् ।

मध्याह्ने चैव सायाह्ने भोजनद्वयमाचरेत् ।। 31 ।।

 

भावार्थ :-  इस प्रकार योगी को पूरे विधि- विधान के साथ प्राणायाम का अभ्यास करना चाहिए । प्राणायाम के आरम्भिक समय में प्रतिदिन दूध और घी से युक्त आहार का सेवन करना चाहिए । इसके अलावा योगी को आरम्भ में दोपहर व सांय दो समय भोजन करना चाहिए ।

Related Posts

February 16, 2019

केवली कुम्भक विधि   नासाभ्यां वायुमाकृष्य केवलं कुम्भकं चरेत् । एकादिकचतु:षष्टिं धारयेत् प्रथमे दिने ...

Read More

February 16, 2019

विभिन्न कार्यों के समय वायु की दूरी   षण्णवत्यङ्गुलीमानं शरीरं कर्मरूपकम् । देहाद्बहिर्गतो वायु: ...

Read More

February 16, 2019

मूर्छा प्राणायाम विधि व लाभ   सुखेन कुम्भकं कृत्वा मनश्च भ्रुवोरन्तरम् । सन्त्यज्य विषयान् ...

Read More

February 16, 2019

भस्त्रिका प्राणायाम विधि   भस्त्रैव लोहकालाणां यथाक्रमेण सम्भ्रमेत् । तथा वायुं च नासाभ्यामुभाभ्यां चालयेच्छनै: ...

Read More
Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked

  1. ॐ गुरुदेव!
    योगियों के पथ्य एवं अपथ्य का बहुत ही उत्तम
    व्याख्या प्रस्तुत की है आपने।इसके लिए आपको बहुत बहुत धन्यवाद।

{"email":"Email address invalid","url":"Website address invalid","required":"Required field missing"}