महर्षि व्यासजी ( संकलन कर्ता ) व्यासप्रसादाच्छ्रुतवानेतद्गुह्यमहं परम् । योगं योगेश्वरात्कृष्णात्साक्षात्कथयतः स्वयम् ।। 75 ।। व्याख्या :- महर्षि व्यासजी की विशेष कृपा दृष्टि से मैंने स्वयं इस परम गोपनीय योग ज्ञान को प्रत्यक्ष रूप से योगेश्वर श्रीकृष्ण के मुख से सुना है । विशेष :- संजय ने गीता के परम …
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- Category: Bhagwad Geeta – 18