चार प्रकार के भक्त

 

चतुर्विधा भजन्ते मां जनाः सुकृतिनोऽर्जुन ।
आर्तो जिज्ञासुरर्थार्थी ज्ञानी च भरतर्षभ ।। 16 ।।

 

 

व्याख्या :-  हे भरतवंशियों में श्रेष्ठ अर्जुन ! चार प्रकार के भक्त मेरा भजन अर्थात् भक्ति करते हैं – आर्त ( दुःख अथवा संकट से छुटकारा चाहने वाले ),  जिज्ञासु ( ज्ञान अथवा रहस्य को जानने वाले ), अर्थार्थी ( किसी पदार्थ अथवा कामना की पूर्ति के लिए ), और ज्ञानी ( कुछ भी न चाहने वाले अथवा निष्काम रूप से भक्ति करने वाले ) ।

 

 

विशेष :-  यह गीता का अत्यन्त महत्वपूर्ण श्लोक है, इसमें भगवान श्रीकृष्ण अपने चार प्रकार के भक्तों का वर्णन करते हैं । अब हम इन सभी भक्तों का विस्तार से वर्णन करते हैं –

  1. आर्त भक्त :- आर्त भक्त वह होते हैं जो केवल संकट अथवा दुःख की घड़ी में ही परमात्मा को याद करते हैं, वैसे सामान्य रूप से वह कभी भी भगवान का भजन अथवा भक्ति नहीं करते हैं । जैसे- व्यापार में घाटा होने पर, असाध्य बीमारी में, पैसों के अभाव में, प्राणों पर संकट आने पर, कोई बड़ी कठिनाई आदि होने पर । यह भक्त की सबसे निम्न अवस्था कही जाती है ।
  2. जिज्ञासु भक्त :- जिज्ञासु भक्त वह होते हैं जो कुछ जानने की इच्छा रखते हैं । जैसे- परमात्मा क्या है? सृष्टि क्या है? इसकी रचना कैसे हुई? भगवान का वास्तविक स्वरूप क्या है? इत्यादि । इस प्रकार किसी रहस्य को जानने की इच्छा रखने वाले भक्त को जिज्ञासु भक्त कहते हैं । यह भक्त आर्त भक्त से थोड़ी उच्च श्रेणी के होते हैं ।
  3. अर्थार्थी :- जो भक्त किसी वस्तु, पदार्थ अथवा लौकिक फल की कामना की पूर्ति के लिए भगवान की भक्ति करते हैं, उन्हें अर्थार्थी भक्त कहते हैं । ऐसे भक्त किसी कामना की पूर्ति के लिए ही भगवान का भजन करते हैं । जैसे ही उनकी कामना पूर्ण हो जाती है, वैसे ही वह भक्त भक्ति करना छोड़ देता है । इसलिए जो भक्त केवल किसी विशेष उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए ही भगवान की भक्ति करते हैं, वह अर्थार्थी कहलाते हैं ।
  4. ज्ञानी भक्त :- जिसकी सभी कामनाएँ समाप्त हो चुकी हैं और जो निष्काम भाव से बिना किसी उद्देश्य के भगवान की भक्ति करता है, वह भक्त ज्ञानी कहलाता है । ज्ञानी को सबसे श्रेष्ठ भक्त माना जाता है ।

 

यह श्लोक परीक्षा की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है, इसके सम्बन्ध में निम्न प्रश्न पूछे जा सकते हैं – गीता में भक्त के कितने प्रकार बताए गए हैं ? जिसका उत्तर है – चार प्रकार के भक्तों का वर्णन किया गया है । आर्त भक्त भगवान की भक्ति कब करते हैं ? उत्तर है- दुःख अथवा संकट के समय । भगवान व प्रकृति के स्वरूप को जानने की इच्छा रखने वाले भक्त क्या कहलाते हैं ? जिज्ञासु भक्त । किसी विशेष उद्देश्य की प्राप्ति के लिए भक्ति करने वाले भक्त को क्या कहते हैं ? उत्तर है- अर्थार्थी भक्त । जो केवल निष्काम भाव से भक्ति करते हैं, उन्हें कौन सा भक्त कहते हैं ? उत्तर है – ज्ञानी भक्त ।

 

इन सभी भक्तों में से सबसे निम्न भक्त किसे माना गया है ? उत्तर है- आर्त भक्त को ।

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