आहारस्त्वपि सर्वस्य त्रिविधो भवति प्रियः ।

यज्ञस्तपस्तथा दानं तेषां भेदमिमं श्रृणु ।। 7 ।।

 

 

व्याख्या :-  जिस प्रकार सभी मनुष्यों को अपनी अलग – अलग रुचि के अनुसार तीन प्रकार का आहार प्रिय होता है, उसी प्रकार यज्ञ, तप तथा दान भी तीन- तीन प्रकार के भेद वाले होते हैं । अब इनके अलग- अलग भेदों को सुनो –

 

 

सात्त्विक आहार

 

आयुः सत्त्वबलारोग्यसुखप्रीतिविवर्धनाः ।

रस्याः स्निग्धाः स्थिरा हृद्या आहाराः सात्त्विकप्रियाः ।। 8 ।।

 

व्याख्या :-  आयु, सात्त्विक वृत्ति, बल, आरोग्यता, सुख और प्रीति ( प्रसन्नता ) को बढ़ाने वाले रसीले ( रसयुक्त ), स्निग्ध ( चिकने ), स्थिर ( जिनका शरीर में ज्यादा समय तक असर रहे ) व मन को प्रसन्न करने वाले आहार सात्त्विक प्रकृति के व्यक्तियों को प्रिय लगते हैं ।

 

 

 

विशेष :-

  • सात्त्विक पुरुष को किस प्रकार का आहार प्रिय अथवा पसन्द होता है ? उत्तर है – आयु, बुद्धि, बल, आरोग्यता, सुख व प्रसन्नता को बढ़ाने वाला आहार ।
  • सात्त्विक आहार में क्या- क्या गुण होते हैं ? उत्तर है – सात्त्विक आहार रसयुक्त, चिकने और ज्यादा समय तक शरीर में स्थिर रहते हैं ।

 

 

राजसिक आहार

 

कट्वम्ललवणात्युष्णतीक्ष्णरूक्षविदाहिनः ।

आहारा राजसस्येष्टा दुःखशोकामयप्रदाः ।। 9 ।।

 

 

व्याख्या :- कटु ( कड़वे ), खट्टे, नमकीन ( ज्यादा नमक वाले ), बहुत गर्म ( लहसुन व अदरक आदि ), तीखे ( अधिक मिर्च- मसाले वाले ), रूखे ( बिना रस के अथवा सूखे हुए ), शरीर में जलन पैदा करने वाले ( ज्यादा तले हुए ), दुःख, शोक और रोगों को उत्पन्न करने वाले आहार राजसिक प्रकृति वाले व्यक्तियों को प्रिय लगते हैं ।

 

 

विशेष :-

  • राजसिक पुरुष किस प्रकार का आहार पसन्द करते हैं ? उत्तर है – कड़वे, खट्टे, नमकीन, अधिक गर्म, तीखे, सूखे, शरीर में जलन बढ़ाने वाले व दुःख, शोक और रोग उत्पन्न करने वाले आहार ।

 

 

तामसिक आहार

 

यातयामं गतरसं पूति पर्युषितं च यत्‌ ।

उच्छिष्टमपि चामेध्यं भोजनं तामसप्रियम्‌ ।। 10 ।।

 

 

व्याख्या :-  अधपका ( कच्चा- पक्का ), रस रहित, दुर्गन्ध से युक्त, बासी ( बहुत पहले पकाया हुआ ), जूठा ( किसी द्वारा अधूरा छोड़ा गया भोजन ) तथा अपवित्र आहार तामसिक व्यक्ति को प्रिय होता है ।

 

 

विशेष :-

तामसिक व्यक्ति को किस प्रकार का आहार प्रिय होता है ? उत्तर है – अधपका, रसहीन, बदबूदार, बासी, जूठा और अपवित्र भोजन ।

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