रजोगुण का प्रभाव
रजो रागात्मकं विद्धि तृष्णासङ्गसमुद्भवम् ।
तन्निबध्नाति कौन्तेय कर्मसङ्गेन देहिनम् ।। 7 ।।
व्याख्या :- हे कौन्तेय ! यह रजोगुण रागात्मक होता है, जो इच्छाओं के प्रति आकर्षण अथवा आसक्ति से उत्पन्न होता है । यह जीवात्मा को कर्मफल के प्रति आसक्त ( लगाव ) करके शरीर के साथ बाँधता है ।
विशेष :-
- रजोगुण का स्वभाव किस प्रकार का होता है ? उत्तर है – रागात्मक अथवा आसक्तिपूर्ण ।
- रजोगुण की उत्पत्ति किसके कारण होती है ? उत्तर है – राग के कारण ।
- रजोगुण के किस प्रभाव के कारण जीवात्मा शरीर के साथ बन्धता है ? उत्तर है – कर्मफल के प्रति आसक्ति ( लगाव ) होने के कारण ।
तमोगुण का प्रभाव
तमस्त्वज्ञानजं विद्धि मोहनं सर्वदेहिनाम् ।
प्रमादालस्यनिद्राभिस्तन्निबध्नाति भारत ।। 8 ।।
व्याख्या :- हे भारत ! सभी देहधारियों ( मनुष्यों ) को मोहित करके मार्ग से भ्रमित करने वाले तमोगुण की उत्पत्ति अज्ञान से होती है । यह जीवात्मा को प्रमाद, आलस्य और निद्रा के कारण बाँधता है ।
विशेष :-
- तमोगुण की उत्पत्ति किसके द्वारा होती है ? उत्तर है – अज्ञान के द्वारा ।
- तमोगुण के किन कारणों से जीवात्मा शरीर के साथ बन्धती है ? उत्तर है – प्रमाद, आलस्य व निद्रा के कारण ।
गुणों के प्रभाव
सत्त्वं सुखे सञ्जयति रजः कर्मणि भारत ।
ज्ञानमावृत्य तु तमः प्रमादे सञ्जयत्युत ।। 9 ।।
व्याख्या :- हे भारत ! मनुष्य को यह सत्त्वगुण सुख में और रजोगुण कर्म में आसक्त कर देता है तथा यह तमोगुण ज्ञान को ढँक कर मनुष्य को प्रमाद में आसक्त कर देता है ।
विशेष :-
- सत्त्वगुण से मनुष्य किसमें प्रवृत्त अथवा आसक्त होता है ? उत्तर है- सुख में ।
- रजोगुण व्यक्ति को किसमें आसक्त करता है ? उत्तर है – कर्म में ।
तमोगुण व्यक्ति को किसमें आसक्त करता है ? उत्तर है – ज्ञान को ढँक कर प्रमाद में आसक्त करता है ।
Thank you sir ????????
Guru Ji nice explain about triguna.
Very useful information, Thank you sir
Dhanyawad Acharya sri
अतिसुन्दर sir…????????????