तमोगुण का शरीर पर प्रभाव

 

अप्रकाशोऽप्रवृत्तिश्च प्रमादो मोह एव च ।

तमस्येतानि जायन्ते विवृद्धे कुरुनन्दन ।। 13 ।।

 

 

 

व्याख्या :-  हे कुरुनन्दन अर्जुन ! शरीर में तमोगुण की वृद्धि होने पर व्यक्ति में अज्ञान का अन्धकार, कर्तव्य कर्मों में अरुचि, प्रमाद ( लापरवाही ), और मोह बढ़ता है ।

 

 

 

विशेष :-

  • तमोगुण की वृद्धि होने पर किस प्रकार के लक्षण दिखाई देते हैं ? उत्तर है – अज्ञान, कर्मों में अरुचि, प्रमाद और मोह बढ़ता है ।

 

 

 

 

सत्त्वगुण में मृत्यु = दिव्य लोकों की प्राप्ति

 

यदा सत्त्वे प्रवृद्धे तु प्रलयं याति देहभृत्‌ ।

तदोत्तमविदां लोकानमलान्प्रतिपद्यते ।। 14 ।।

 

 

 

व्याख्या :-  यदि किसी मनुष्य की मृत्यु सत्त्वगुण की प्रधान अवस्था ( सत्त्वगुण के बढ़ने पर ) में होती है तो उसे उत्तम तत्त्वों को जानने वाले श्रेष्ठ मनुष्यों को प्राप्त होने वाले दिव्य लोकों ( स्वर्ग लोक ) की प्राप्ति होती है ।

 

 

 

विशेष :-

  • सत्त्वगुण की प्रबल अवस्था में मृत्यु होने पर व्यक्ति को किसकी प्राप्ति होती है ? उत्तर है – उत्तम लोगों को प्राप्त होने वाले दिव्य अर्थात् स्वर्ग लोक की प्राप्ति होगी ।

 

 

 

रजोगुण में मृत्यु = कर्म आसक्तों के घर जन्म

 

तमोगुण में मृत्यु = मूढ़ ( पशु – पक्षी ) योनियों में जन्म

 

रजसि प्रलयं गत्वा कर्मसङ्‍गिषु जायते ।

तथा प्रलीनस्तमसि मूढयोनिषु जायते ।। 15 ।।

 

 

व्याख्या :-  जो मनुष्य रजोगुण की प्रधानता ( बढ़ी हुई अवस्था ) में शरीर छोड़ता है, वह उसी प्रकार के कर्मों में आसक्त रहने वालों के घर में जन्म लेता है तथा जो मनुष्य तमोगुण की प्रबल अवस्था में शरीर का त्याग करता है, उसे मूढ़ अर्थात् पशु – पक्षियों वाली योनियों में जन्म मिलता है ।

 

 

 

विशेष :-

  • रजोगुण की प्रबलता में मृत्यु होने पर व्यक्ति को कैसा जन्म प्राप्त होता है ? उत्तर है – उसी तरह से कर्मों के प्रति आसक्ति रखने वालों के घर जन्म मिलता है ।

तमोगुण के वृद्धिकाल में मरने पर व्यक्ति को किस प्रकार की योनियों में जन्म मिलता है ? उत्तर है – पशु- पक्षियों वाली मूढ़ योनियों में ।

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