तस्य भूमिषु विनियोगः ।। 6 ।।
शब्दार्थ :- तस्य ( उसका अर्थात संयम का ) भूमिषु ( योग की भूमियों या अवस्थाओं में ) विनियोग: ( उपयोग या प्रयोग करना चाहिए । )
सूत्रार्थ :- संयम का प्रयोग योग की अलग- अलग भूमियों या अवस्थाओं में करना चाहिए । अर्थात योगी साधक को एक अवस्था में संयम करने के बाद उससे दूसरी अवस्था में संयम का अभ्यास करना चाहिए ।
व्याख्या :- इस सूत्र में संयम का प्रयोग योग की अलग- अलग भूमियों में करने की बात कही गई है ।
योग साधना का अभ्यास करने का भी एक क्रम होता है । जिसका पालन करके हम योग मार्ग में बिना किसी कठिनाई के सफलता प्राप्त करते रहते हैं ।
उसी क्रम का पालन करते हुए साधक को पहले योग की सबसे छोटी भूमि या अवस्था में में सिद्धि प्राप्त करनी चाहिए । उसके बाद अपने इस क्रम को धीरे- धीरे आगे बढ़ाते हुए छोटी से बड़ी अवस्था को प्राप्त करने का प्रयास निरन्तर जारी रखना चाहिए ।
जैसे ही एक अवस्था में संयम का प्रयोग करके उसमें सफलता प्राप्त की वैसे ही उससे आगे की अवस्था के लिए प्रयास करना चाहिए ।
इसे हम इस प्रकार भी कह सकते हैं कि साधक को स्थूल से सूक्ष्म अवस्था की ओर बढ़ना चाहिए ।
उदाहरण स्वरूप :- जब छोटा बच्चा पढ़ने के योग्य होता है तो हम विद्यालय में उसका प्रवेश एल०के०जी० या पहली कक्षा में करवाते हैं । और जैसे ही वह एक वर्ष के बाद पहली कक्षा की परीक्षा को पास करता है वैसे ही उसका प्रवेश दूसरी कक्षा में करवा दिया जाता है । इसी प्रकार यह क्रम जारी रहता है और बच्चा एक के बाद एक कक्षा को पास करता हुआ आगे बढ़ता रहता है ।
इसे हम एक अन्य उदाहरण से भी समझ सकते हैं । जब हम ऊपर चढ़ने के लिए सीढ़ियों का प्रयोग करते हैं तो पहले हम सबसे पहले वाली सीढ़ी पर पाँव रखते हैं । और फिर एक के बाद एक सीढ़ी को पार करते हुए हम सफलता पूर्वक ऊपर चढ़ जाते हैं ।
ठीक इसी प्रकार योग मार्ग में भी हम एक निश्चित क्रम को लेकर साधना में आगे बढ़ने का काम करते हैं । जैसे ही एक क्रम में सफलता प्राप्त की वैसे ही दूसरे के लिए प्रयास आरम्भ कर दिया ।
इसी क्रम का पालन करते हुए हमें योग की एक अवस्था के बाद दूसरी अवस्था को प्राप्त करने का प्रयास करना चाहिए ।
?प्रणाम आचार्य जी! धन्यवाद ?
Thanku sir??
वहुत सुंदर व्याख्या ।।
बहुत खूब, धन्यवाद सर जी
Parnam guru ji
ॐ गुरुदेव*
बहुत ही सुंदर व्याख्या प्रस्तुत की है आपने ।
इसके लिए आपको धन्यवाद*
Pranaam Sir!?? Continuos effort is the key to success….. Very well explained sir
Nice explanation about different phase of yoga to get step by step by use of sayama guru ji.