बन्धकारणशैथिल्यात्प्रचारसंवेदनाच्च चित्तस्य परशरीरावेश: ।। 38 ।।
शब्दार्थ :- बन्ध ( बन्धन या रुकने ) कारण ( के कारण ) शैथिल्यात ( स्थिलता से ) प्रचार संवेदनात् ( उसके आने- जाने की गति की जानकारी हो जाती है जिससे ) चित्तस्य ( चित्त का ) पर ( दूसरे के ) शरीर ( शरीर में ) आवेश ( प्रवेश हो जाता है )
सूत्रार्थ :- कर्म के बन्धनों के रुकने से व चित्त के संस्कारों की गति का अच्छी प्रकार ज्ञान होने पर चित्त दूसरे व्यक्ति के शरीर में प्रवेश कर लेता है ।
व्याख्या :- इस सूत्र में चित्त का दूसरों के शरीर में प्रवेश करने की बात कही गई है ।
हमारा चित्त विभिन्न प्रकार के सकाम, शुभ व अशुभ कर्मों में लिप्त रहता है । हमारे चित्त में अनेक प्रकार की वासनाएँ व्याप्त होती हैं । जिनको पूरा करने के लिए चित्त को एक शरीर की आवश्यकता होती है । इसी कारण चित्त का आश्रय स्थल हमारा शरीर होता है ।
जब एक योगी अपने समाधि के बल से अपने सभी कुसंस्कारों व सकाम कर्मों के व्यापार को रोक देता है । तब उन सकाम कर्मों का त्याग करने से चित्त के सभी बन्धन भी ढीले पड़ जाते हैं ।
इस प्रकार कर्म जब कर्म संस्कार रुक जाते हैं तो साधक को उस चित्त के सभी मार्गों का व उसकी सभी गतिविधियों का भली- भाँति ज्ञान हो जाता है ।
अपने चित्त की सभी गतिविधियों का ज्ञान होने पर साधक के चित्त में बहुत योग्यता आ जाती है । जिससे वह अन्य किसी दूसरे व्यक्ति के शरीर में भी प्रवेश कर सकता है ।
दूसरे के शरीर में प्रवेश करने से योगी को न केवल उस दूसरे व्यक्ति के चित्त का बल्कि उसकी सभी इन्द्रियों का भी ज्ञान हो जाता है । इस प्रकार से हमारा चित्त सभी इन्द्रियों के स्वामित्व का कार्य करता है । ठीक वैसे ही जैसे कि रानी मधुमक्खी के पीछे अन्य सभी मधुमखियाँ उसका अनुसरण करती हुई उसके साथ उड़ती रहती हैं । जहाँ भी वह बैठती हैं वह भी वहीं बैठ जाती हैं।
इस प्रकार चित्त के संस्कारों का निरोध होने से योगी का अपने चित्त पर इतना एकाधिकार हो जाता है कि वह अन्य किसी भी दूसरे व्यक्ति के शरीर में आसानी से प्रवेश कर लेता है । और वह उस व्यक्ति की सभी इन्द्रियों का भी ज्ञान हो जाता हैं ।
??प्रणाम आचार्य जी! सुन्दर सूत्र! धन्यवाद! ?
ॐ गुरुदेव*
आप ऐसे ही हम
सब का मार्ग दर्शन करते रहें।
आपका बहुत बहुत आभार।
Pranaam Sir! ??you are a great inspiration on our path of yoga.
Guru ji nice explain how Chitta enter other person body.
Dhanyawad vistrut jankari ke liye.