कूर्म नाड्यां स्थैर्यम् ।। 31 ।।
शब्दार्थ :- कूर्म ( कूर्म ) नाड्या ( नाड़ी में संयम करने से ) स्थैर्यम् ( स्थिरता अथवा ठहराव आता है )
सूत्रार्थ :- कूर्म नामक नाड़ी में संयम करने से योगी को स्थिरता की प्राप्ति होती है ।
व्याख्या :- इस सूत्र में कूर्म नाड़ी में संयम करने से प्राप्त होने वाले फल की चर्चा की है ।
इस सूत्र में सबसे पहले तो हम इस बात पर चर्चा करेंगें कि यह कूर्म नाड़ी क्या है ? तभी हम इसकी सार्थक व्याख्या कर पाएंगें ।
नाड़ियाँ हमारे शरीर में प्राण शक्ति को प्रवाहित ( संचालन ) करने का माध्यम हैं । हठयोग के आचार्यों ने मुख्य रूप से नाड़ियों की चर्चा अपने ग्रन्थों में की है । भगवान शिव ने नाड़ियों की संख्या तीन लाख पचास हजार ( 350000 ) मानी है । वहीं स्वामी स्वात्माराम ने हठप्रदीपिका में नाड़ियों की संख्या बहत्तर हजार ( 72000 ) मानी है ।
योगसूत्र में जिस कूर्म नाड़ी का वर्णन किया गया है । वह नाड़ी हमारे कण्ठकूप के नीचे उर:स्थल अर्थात छाती में स्थित होती है । जिसकी आकृत्ति कछुए के समान होती है ।
जब योगी उस कूर्म नाड़ी में संयम कर लेता है, तो उसे स्थिरता की प्राप्ति होती है । यह स्थिरता शारिरिक व मानसिक दोनों प्रकार की होती है । भाष्यकार ने योगी की स्थिरता को दर्शाने के लिए यहाँ पर सर्प अर्थात सांप व गोधा अर्थात गोह का उदाहरण दिया है ।
जिस प्रकार सांप व गोह जब अपने बिल में घुस जाते हैं, तो भले ही आप उनकी पूँछ पकड़कर उन्हें बाहर खींचने की कोशिश करो । लेकिन आप उन्हें बाहर नहीं निकाल पाओगे । क्योंकि उनकी भूमि पर पकड़ बहुत ही मजबूत होती है । एक बार यदि वह पकड़ अच्छे से हो जाए तो उनको हिलाना भी मुश्किल है ।
ठीक उसी प्रकार जब योगी अपनी कूर्म नाड़ी में संयम कर लेता है, तो उसकी स्थिरता भी इतनी ही मजबूत हो जाती है । इससे योगी को शारिरिक व मानसिक दोनों ही प्रकार की स्थिरता प्राप्त होती है ।
रामायण में रावण की सभा के एक दृश्य में दिखाया गया है कि अंगद अपना पैर सभा में जमा देता है । तब उस पैर को कोई भी महारथी उठाना तो दूर उसे हिला भी नहीं पाया था । उसे भी कूर्म नाड़ी के समान सिद्धि माना जा सकता है ।
Thanku sir??
Very nice sir
Bahot clearly vivechan hua.
Muze imp 14 nadiyonka sthan aur annya jankari chahiye.
Samay milne par bata dijiye. Dhanyawad.
ॐ गुरुदेव*
बहुत बहुत आभार।
Guru ji nice explain about benefit of concentration in kurm nadi.
Very nice guru ji
??प्रणाम आचार्य जी! यह सूत्र और इसकी व्याख्या बहुत ही सुंदर उभर कर आयी है, स्थिरता पर बहुत ही महत्वपूर्ण सूत्र श्रीमान महर्षि स्वात्माराम जी ने उल्लेखित किया है, उन
महान योगी व श्रीमान आचार्य सोमवार जी को चरण स्पर्श सादर प्रणाम ?व बारम्बार धन्यवाद! ?
Thank you sir