ध्रुवे तद्गतिज्ञानम् ।। 28 ।।

 

शब्दार्थ :- ध्रुवे ( ध्रुव तारे में संयम करने से ) तद् ( उन सभी अन्यों की ) गति ( गति अर्थात उनकी चाल का ) ज्ञानम् ( ज्ञान हो जाता है )

  

सूत्रार्थ :- ध्रुव तारे में संयम करने से अन्य सभी तारों की गति अर्थात चाल का ज्ञान हो जाता है ।

 

व्याख्या :- इस सूत्र में ध्रुव तारे में संयम करने से मिलने वाली सिद्धि को बताया गया है ।

ध्रुव तारा सदैव अपने स्थान पर स्थिर रहता है । वह कभी भी अपना स्थान नहीं छोड़ता । यहीं ध्रुव तारे की विशेषता है जिसके कारण इसके साथ अनेकों कथा- कहानियाँ और प्रथाएँ प्रसिद्ध व प्रचलित है ।

 

आप सभी ने देखा होगा कि हिन्दू विवाह पद्धति के अनुसार जब होने वाले पति- पत्नी अग्नि के चारों तरफ घूमकर फेरे लेते हैं । तब वह दोनों विधिवत रूप से पति- पत्नी कहलाते हैं । इसके बाद भी कुछ आवश्यक रस्में होती हैं । जिनमें से एक होती है ध्रुव तारे का दर्शन करना अर्थात ध्रुव तारे की ओर देखना । इस रस्म में पण्डित पति और पत्नी को कहता है कि जिस प्रकार यह ध्रुव तारा सदा अपने स्थान पर अडिग रहता है । चाहे जैसी भी परिस्थिति क्यों न हो । ठीक वैसे ही तुम दोनों भी अपने वैवाहिक जीवन में सदा एक दूसरे के साथ अडिग रहना । फिर चाहे कैसी भी परिस्थितियाँ क्यों न आ जाएं ।

अतः ध्रुव तारा अपनी अडिग अवस्था के कारण दूसरों के लिए उदाहरण भी प्रस्तुत करता है ।

 

प्रायः वस्तुएँ या तो स्थिर होती हैं या फिर गति अर्थात चलायमान अवस्था में होती हैं । इनमें से जो वस्तु अपने स्थान पर ही स्थित या स्थिर होती है हम सब उसकी स्थिति के बारे में निश्चित होते हैं कि यह वस्तु कहाँ पर पाई जाती है । लेकिन जो वस्तुएँ चलायमान अर्थात गतिशील होती हैं उनके बारे में यह कहना कि वह वस्तु तो वहाँ पर स्थित है, उचित नहीं होगा । क्योंकि जो गतिमान है वह एक स्थान से दूसरे स्थान पर घूमती रहती हैं ।

 

किसी भी गतिशील वस्तु की स्थिति का पता भी स्थिरता वाली वस्तु से ही लगाया जा सकता है । क्योंकि गतिशील वस्तुएँ स्थिरता प्राप्त वस्तु के इर्द – गिर्द ही घूमती रहती हैं । इसलिए उनकी स्थिति का अनुमान लगाना आसान हो जाता है ।

ध्रुव तारे में संयम करने से योगी को सभी तारों की वास्तविक स्थिति का ज्ञान हो जाता है । जैसे कि कौन सा तारा किस काल अर्थात समय में, कौन सी राशि एवं नक्षत्र में गमन ( जाएगा ) करेगा आदि- आदि ।

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  1. ॐ गुरुदेव*
    ध्रुव तारे में संयम की
    सुंदर व्याख्या प्रस्तुत की है आपने
    इसके लिए आपको बहुत बहुत धन्यवाद।

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