नाथ योगियों का परिचय
श्री आदिनाथमत्स्येन्द्रशाबरानन्दभैरवा: ।
चौरङ्गीमीनगोरक्षविरुपाक्षविलेशय: ।। 5 ।।
भावार्थ :- श्री आदिनाथ, मत्स्येंद्रनाथ, शाबर, आनंदभैरव, चौरङ्गी, मीन, गोरक्ष, विरुपाक्ष, विलेशय ।
मन्थानो भैरवो योगी सिद्धिबुद्घश्च कन्थडि: ।
कोरण्टक: सुरानन्द: सिद्धिपादश्च चर्पटि: ।। 6 ।।
भावार्थ :- मन्थान, भैरव योगी, सिद्धि, बुद्ध, कन्थडि, कोरण्टक, सुरानन्द, सिद्धिपाद व चर्पटि ।
कानेरी पूज्यपादश्च नित्यनाथो निरञ्जन: ।
कपाली बिन्दुनाथश्च काकचण्डीश्वराह्वय: ।। 7 ।।
भावार्थ :- कानेरी, पूज्यपाद, नित्यनाथ, निरञ्जन, कपाली, बिन्दुनाथ व काकचण्डीश्वर नाम के ।
अल्लाम: प्रभुदेवश्च घोड़ाचोली च टिण्टिणि: ।
भानुकी नारदेवश्च खण्ड: कापालिकस्तथा ।। 8 ।।
भावार्थ :- अल्लाम, प्रभुदेव, घोड़ाचोली, व टिण्टिणि, भानुकी, नारदेव, खण्ड तथा कापालिक ।
इत्यादयो महासिद्धा: हठयोगप्रभावत: ।
खण्डयित्वा कालदण्डं ब्रह्माण्डे विचरन्ति ते ।। 9 ।।
भावार्थ :- इत्यादि ( ऊपर वर्णित ) महासिद्ध योगी हठयोग विद्या के प्रभाव से मृत्यु रूपी कालचक्र के भय को नष्ट करके मुक्त रूप से ब्रह्माण्ड में घूम रहे हैं । अर्थात ऊपर वर्णित सभी योगियों ने हठयोग साधना से मृत्यु पर विजय प्राप्त करके अपने आप को जीवन- मरण के बन्धन से मुक्त कर चुके हैं । इसलिए वह इस पूरे ब्रह्माण्ड में मुक्त रूप से कही भी घूमते रहते हैं ।
अशेषतापतप्तानां समाश्रयमठो हठ: ।
अशेषयोगयुक्तानामाधारकमठो हठ: ।। 10 ।।
भावार्थ :- जो व्यक्ति दुखों से अनन्त रूप से दुःखी हैं । उनके लिए यह हठयोग विद्या सुख रूपी आश्रय अर्थात घर की तरह है और जो योग साधक अनेक प्रकार की योग साधनाओं में लगे हुए हैं । उनके लिए यह हठयोग साधना आधारभूत कछुए के समान है । जिस प्रकार समुद्र मन्थन के दौरान कछुए को आधार बनाया गया था । ठीक उसी प्रकार यह हठयोग साधना भी अन्य सभी साधनाओं का आधार है ।
Thanku sir ??
Pranaam Sir! ??This part gives information about all previous Hatha yogis. Thank you
धन्यवाद।
Thanks alot ji
Sir aap ka Yoga sutra ka book kab milega and Amazon aur Flipcart pe v milega kya
आपके सान्निध्य मे होना हमारे लिए सौभाग्य कि बात है गुरु जी।
Thnx sir