प्रमुख चार आसन

 चतुरशीत्यासनानि शिवेन कथितानि वै ।

तेभ्यश्चतुष्कमादाय सारभूतं ब्रवीम्यहम् ।। 35 ।।

 

भावार्थ :- भगवान शिव ने कुल चौरासी ( 84 ) आसनों का वर्णन किया है । यहाँ पर मैं उन सभी आसनों के सार कहे जाने वाले मुख्य चार आसनों का वर्णन कर रहा हूँ ।

 

विशेष :- यहाँ पर स्वामी स्वात्माराम ने आदिनाथ भगवान शिव द्वारा बताये गए चौरासी आसनों में से चार आसनों को प्रमुख माना है ।

 

 चार प्रमुख आसनों के नाम

सिद्धं पद्मं तथा सिंहं भद्रं चेति चतुष्टयम् ।

श्रेष्ठं तत्रापि च सुखे तिष्ठेत् सिद्धासने सदा ।। 36 ।।

 

भावार्थ :- सिद्धासन, पद्मासन, सिंहासन और भद्रासन यह चार आसन सभी आसनों में श्रेष्ठ हैं । इन चारों में से भी सिद्धासन को श्रेष्ठ माना गया है । इसलिए कहा गया है कि साधक को सदा सिद्धासन में ही सुख पूर्वक बैठकर योग साधना करनी चाहिए ।

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