सत् = सत्य ( सर्वहितकारी ) सद्भावे साधुभावे च सदित्यतत्प्रयुज्यते । प्रशस्ते कर्मणि तथा सच्छब्दः पार्थ युज्यते ।। 26 ।। व्याख्या :- सत् शब्द का प्रयोग साधुभाव अर्थात् सबकी भलाई व सत्य के रूप में किया जाता है तथा सभी उत्तम अथवा श्रेष्ठ कार्यों के लिए भी सत् शब्द का प्रयोग …
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- Category: Bhagwad Geeta – 17