मोक्ष प्राप्ति
योऽन्तःसुखोऽन्तरारामस्तथान्तर्ज्योतिरेव यः ।
स योगी ब्रह्मनिर्वाणं ब्रह्मभूतोऽधिगच्छति ।। 24 ।।
व्याख्या :- जो व्यक्ति अन्तरात्मा में सुखी होकर, अपने आप में ही आराम अथवा शान्ति को प्राप्त कर लेता है और जिसकी अंतर्ज्योति प्रकाशित हो जाती है, ऐसा योगी ब्रह्मा में स्थित होकर ब्रह्मनिर्वाण अर्थात् मोक्ष को प्राप्त हो जाता है ।
लभन्ते ब्रह्मनिर्वाणमृषयः क्षीणकल्मषाः ।
छिन्नद्वैधा यतात्मानः सर्वभूतहिते रताः ।। 25 ।।
व्याख्या :- जिन मनुष्यों के सभी पाप नष्ट हो गए हैं, जिन्होंने ज्ञान के द्वारा अपने सभी संशयों को समाप्त कर लिया है, जो संयमित हो गए हैं और जो दूसरे प्राणियों का हित अर्थात् भला करने में निरन्तर लगे हुए हैं, ऐसे मनुष्य ही मोक्ष को प्राप्त करते हैं ।
कामक्रोधवियुक्तानां यतीनां यतचेतसाम् ।
अभितो ब्रह्मनिर्वाणं वर्तते विदितात्मनाम् ।। 26 ।।
व्याख्या :- जो काम व क्रोध से मुक्त हो गए हैं, जिन्होंने अपने चित्त को संयमित करके अपने आत्मस्वरूप को जान लिया है, जो पुण्य कर्म करने वाले विद्वानों के चारों ओर विद्यमान रहते हैं, ऐसे साधकों को आसानी से ब्रह्मनिर्वाण ( मोक्ष ) प्राप्त हो जाता है ।
Thank you sir
Nice explain about moksa guru ji.
Prnam Aacharya ji om Dhanyavad om