जन्म कर्म च मे दिव्यमेवं यो वेत्ति तत्वतः ।
त्यक्तवा देहं पुनर्जन्म नैति मामेति सोऽर्जुन ।। 9 ।।
व्याख्या :- हे अर्जुन ! जो व्यक्ति मेरे दिव्य जन्म और कर्म के रहस्यों को तत्त्व रूप से जान लेता है, वह मृत्यु के बाद कभी भी पुनः जन्म नहीं लेता, बल्कि वह जन्म- मरण के बन्धन से मुक्त होकर मुझको ही प्राप्त हो जाता है ।
वीतरागभय क्रोधा मन्मया मामुपाश्रिताः ।
बहवो ज्ञानतपसा पूता मद्भावमागताः ।। 10 ।।
व्याख्या :- जिनके राग, भय और क्रोध नष्ट हो चुके थे, जो प्रेमपूर्वक रहते हुए केवल मुझपर ही आश्रित थे, वह बहुत सारे भक्त ज्ञान और तप से पवित्र होकर मेरे स्वरूप को प्राप्त कर चुके हैं अर्थात् वह जन्म- मरण के बन्धन से मुक्त होकर मोक्ष को प्राप्त कर चुके हैं ।
ये यथा माँ प्रपद्यन्ते तांस्तथैव भजाम्यहम् ।
मम वर्त्मानुवर्तन्ते मनुष्याः पार्थ सर्वशः ।। 11 ।।
व्याख्या :- हे पार्थ ! ( अर्जुन ) जो मुझे जिस भी रूप में भजते हैं अथवा मेरा गुणगान करते हैं, मैं भी उनको उसी रूप में स्वीकार अथवा फल प्रदान करता हूँ । क्योंकि अंततः वह सभी मनुष्य चारों ओर से मेरे द्वारा बताये गए मार्ग का ही अनुसरण करते हैं ।
काङ्क्षन्तः कर्मणां सिद्धिं यजन्त इह देवताः ।
क्षिप्रं हि मानुषे लोके सिद्धिर्भवति कर्मजा ।। 12 ।।
व्याख्या :- इस मनुष्य लोक में जो मनुष्य कर्मों की सिद्धि अर्थात् कर्मफल की इच्छा से देवताओं की पूजा- उपासना करते हैं, उन्हें अतिशीघ्र ही कर्मफल से प्राप्त होने वाली सिद्धि की प्राप्ति हो जाती है ।
ॐ गुरुदेव!
आपका हृदय से परम आभार प्रेषित करता हूं।
Dr sahab nice explain about karma fala benefit by short way.