पहला अध्याय ( अर्जुन विषादयोग )
इस पहले अध्याय में कुरुक्षेत्र के मैदान में एक- दूसरे के सामने खड़ी हुई पाण्डवों व कौरवों की सेना का दृश्य दिखाई देता है । यहाँ से गीता शुरू होती है । इसी अध्याय में अर्जुन को अपने स्वजनों के प्रति मोह हो जाता है । जिससे अर्जुन को अवसाद हो जाता है । क्योंकि अर्जुन के शरीर व मन में जिस प्रकार के लक्षण दिख रहे थे । वह सभी लक्षण अवसादग्रस्त व्यक्ति में पाए जाते हैं । यहाँ पर अर्जुन की शारीरिक व मानसिक अवस्था को देखकर सहज रूप से इस बात का अनुमान लगाया जा सकता है कि अर्जुन पूरी तरह से विषादग्रस्त हो गया था । इसीलिए इस अध्याय का नाम अर्जुन विषादयोग रखा गया है । इसके अतिरिक्त इस अध्याय में दोनों सेनाओं के प्रमुख योद्धाओं की चर्चा होती है साथ ही युद्ध को आरम्भ करने के लिए किस योद्धा ने कौनसा शंख बजाया ? इसकी भी चर्चा इस अध्याय में की गई है ।
इसमें कुल सैंतालीस ( 47 ) श्लोकों का वर्णन हुआ है । जिसमें सबसे पहला श्लोक राजा धृतराष्ट्र बोलते हैं ।
धृतराष्ट्र उवाच
धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे समवेता युयुत्सवः ।
मामकाः पाण्डवाश्चैव किमकुर्वत संजय ॥ 1 ।।
व्याख्या :- हे संजय ! धर्म के क्षेत्र कुरुक्षेत्र में युद्ध करने की इच्छा से इकठ्ठे हुए मेरे और पाण्डव के पुत्रों ने क्या किया ?
विशेष :- यह गीता का पहला श्लोक है । जो राजा धृतराष्ट्र द्वारा बोला गया है । इसमें कुरुक्षेत्र को धर्म क्षेत्र कहकर संबोधित किया गया है । इसके पीछे एक तर्क छुपा है । इस स्थान पर बहुत घना जंगल होता था । जिसे राजा कुरु ने काटकर इसकी जगह एक नगर को बसाया था । राजा कुरु के कारण इस जगह का नाम कुरुक्षेत्र पड़ा । यह नगर सरस्वती नदी के तट पर बसा हुआ है । आज इसे हरियाणा राज्य के कुरुक्षेत्र जिले के रूप में जाना जाता है । आज वर्तमान समय में भी इसके ठोस प्रमाण मिले हैं । वर्तमान समय में यहाँ की राज्य सरकार ने भी सरस्वती नदी को संरक्षित करने के लिए कार्य शुरू दिया है । उस समय यहाँ पर अनेक विद्यापीठ व गुरुकुल होते थे । जिनमें प्रतिदिन यज्ञ व वैदिक शास्त्रों का अध्ययन व अध्यापन कार्य किया जाता था । इसलिए उस समय इस क्षेत्र को धर्म का क्षेत्र कहा जाता था । वर्तमान समय में भी यहाँ पर एक विश्व स्तर का गुरुकुल ( गुरुकुल कुरुक्षेत्र ) व विश्विद्यालय ( कुरुक्षेत्र विश्विद्यालय ) स्थित हैं । जिनमें आज भी देश- विदेश से हजारों की संख्या में विद्यार्थी विद्या अध्ययन करने के लिए आते हैं ।
परीक्षा की दृष्टि से :– गीता का पहला श्लोक किसने किसको कहा ? उत्तर है धृतराष्ट्र ने संजय को कहा । वर्तमान समय में कुरुक्षेत्र कहाँ पर स्थित है ? उत्तर है हरियाणा राज्य में ।
संजय उवाच
दृष्टवा तु पाण्डवानीकं व्यूढं दुर्योधनस्तदा ।
आचार्यमुपसंगम्य राजा वचनमब्रवीत् ॥ 2 ।।
पश्यैतां पाण्डुपुत्राणामाचार्य महतीं चमूम् ।
व्यूढां द्रुपदपुत्रेण तव शिष्येण धीमता ॥ 3 ।।
अत्र शूरा महेष्वासा भीमार्जुनसमा युधि ।
युयुधानो विराटश्च द्रुपदश्च महारथः ॥ 4 ।।
धृष्टकेतुश्चेकितानः काशिराजश्च वीर्यवान् ।
पुरुजित्कुन्तिभोजश्च शैब्यश्च नरपुङवः ॥ 5 ।।
युधामन्युश्च विक्रान्त उत्तमौजाश्च वीर्यवान् ।
सौभद्रो द्रौपदेयाश्च सर्व एव महारथाः ॥ 6 ।।
व्याख्या :- संजय कहता है कि पाण्डवों की सेना की व्यूहरचना ( युद्ध के लिए विशेष प्रकार की तैयारी से खड़ा होना ) को देखकर दुर्योधन ने आचार्य द्रोण ( द्रोणाचार्य ) के पास जाकर कहा कि हे आचार्य ! पाण्डवों की इस विशाल सेना को देखो, जिसकी व्यूहरचना आपके बुद्धिमान शिष्य राजा द्रुपद के पुत्र धृष्टद्युम्न ने की है ।
यहाँ इन पाण्डवों की सेना में भीम व अर्जुन की तरह ही बड़े- बड़े शूरवीर योद्धा हैं । जिनमें सात्यकि, विराट, महारथी राजा द्रुपद, धृष्टकेतु, चेकितान, वीर्यवान ( बलवान ) काशिराज, पुरुजित् कुन्तिभोज, मनुष्यों में श्रेष्ठ शैव्य, पराक्रमी युधामन्यु, वीर्यवान ( बलवान ) उत्तमौजा, सुभद्रा का पुत्र अभिमन्यु एवं द्रौपदी के पाँचों पुत्र हैं । जोकि सब के सब महारथी हैं ।
विशेष :- इन सभी श्लोकों में दुर्योधन ने द्रोणाचार्य को पाण्डवों की सेना में सम्मलित सभी प्रमुख योद्धाओं के विषय में बताया है ।
परीक्षा की दृष्टि से :- पाण्डवों की सेना का प्रथम सेनापति कौन था ? उत्तर है राजा द्रुपद का पुत्र व द्रौपदी का भाई धृष्टद्युम्न । पाण्डवों की सेना की व्यूहरचना किसने की थी ? उत्तर है धृष्टद्युम्न ने ।
Thanks Guruvar we are obliged… This is much more good idea, otherwise I have already completed this shlok by shlok.
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Nice explain dr sahab.
ॐ गुरुदेव!
आपके जैसा बहुआयामी व्याख्याकार
को शत_ शत नमन जो कि आध्यात्मिक
ज्ञान के साथ ही साथ परीक्षापयोगी प्रश्नोत्तरों
का भी वर्णन अत्यंत कुशलता के साथ किया है।
अस्तु आपको हमारी ओर से गीता की निर्विघ्न समाप्ति
की अग्रिम शुभकामनाएं।
bahut sundet sir….
Very best explain sir ????????