पश्चिमतान आसन का लाभ

 इति पश्चिमतान मासनाग्र्यं पवनं पश्चिमवाहिनं करोति ।

उदरं जठरानलस्य कुर्यादुदरे काश्यमरोगतां च पुंसाम् ।। 31 ।।

 

भावार्थ :- इन सभी आसनों ( इससे पूर्व में जिन आसनों का वर्णन किया गया है ) में पश्चिमत्तान आसन सबसे अग्रणीय या मुख्य आसन है । इसके अभ्यास से साधक का प्राण मेरुदण्ड के मध्य में अर्थात सुषुम्ना नाड़ी में पहुँचता है । पेट में स्थित जठराग्नि तीव्र अर्थात मजबूत होती है । इसके अतिरिक्त यह आसन पेट की बढ़ी हुई चर्बी को कम करता है । साथ ही शरीर में आरोग्यता आने से साधक निरोगी हो जाता है ।

 

 

मयूरासन विधि

धरामवष्टभ्य करद्वयेन तत्कूर्परस्थापितनाभिपार्श्व: ।

उच्चासनो दण्डवदुत्थित: स्यान्मायूरमेतत्प्रवदन्ति पीठम् ।। 32 ।।

 

भावार्थ :- दोनों हाथों की हथेलियों को जमीन पर इस प्रकार रखें कि अंगुलियाँ पैरों की तरफ रहें । अब अपनी नाभि के दोनों तरफ अपनी कुहनियों को स्थिर करके शरीर को आगे व पीछे दोनों ही तरफ से डन्डे के समान सीधा करते हुए ऊपर की ओर उठाएं और शरीर को इसी अवस्था में रखें । इस प्रकार शरीर का पूरा भार दोनों कुहनियों पर रखते हुए सन्तुलन बनाने को मयूरासन कहते हैं ।

 

विशेष :-  इसमें शरीर की आकृति मोर के समान होने से इसे मयूरासन कहा जाता है ।

 

 मयूरासन के लाभ

 हरतिसकलरोगानाशु गुल्मोदरादीन्

अभिभवति च दोषानासनं श्रीमयूरम् ।

बहु कदशनभुक्तं भस्मकुर्यादशेषम्

जनयति जठराग्निं जारयेत् कालकूटम् ।। 33 ।।

 

भावार्थ :- मयूरासन का अभ्यास करने से पेट में वायु गोला बनना आदि समस्त पेट के रोग शीघ्रता से समाप्त हो जाते हैं । साथ ही यह पेट के अन्य अवशिष्ट पदार्थों को भी दूर करता है । इससे  साधक की जठराग्नि इतनी प्रबल हो जाती है कि वह अधिक खाये गए भोजन को भी आसानी से पचा देती है । इसके अलावा अधिक भोजन या अपथ्य भोजन करने से शरीर में बनने वाला महाविष भी इस आसन के प्रभाव से भस्म अर्थात खत्म हो जाता है ।

 

 

शवासन की विधि व लाभ

उत्तानं शववद् भूमौ शयनं तच्छवासनम् ।

शवासनं श्रान्तिहरं चित्तविश्रान्तिकारकम् ।।

 

भावार्थ :-  छाती व पेट को ऊपर की तरफ रखते हुए भूमि पर शव के समान लेट जाना शवासन कहलाता है । इस अवस्था में शरीर में किसी भी प्रकार की कोई हलचल नहीं होनी चाहिए । शरीर बिलकुल मुर्दे की भाँति शान्त व हलचल रहित होना चाहिए । शवासन करने से शरीर को पूरी तरह से आराम मिलता है । जिससे शरीर की थकान दूर होती है अथवा शारिरिक शान्ति मिलती है । साथ ही चित्त को भी आराम मिलने से मानसिक शान्ति की भी प्राप्ति होती है ।

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  1. Sir, You are doing a nice job by educating the yog practitioners and yog teachers with a mix of our ancestors heritage of yoga in modern yoga scenario.
    Great sir.

  2. ऊॅ सरजी ।बहुत अच्छे शब्दो मे समझाया आपने धन्यवाद सर ।

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