आसन वर्णन

 हठस्य प्रथमाङ्गत्वादासनं पूर्वमुच्यते ।

कुर्यात्तदासनं स्थैर्यमारोग्यं चाङ्गलाघवम् ।। 19 ।।

 

भावार्थ :- स्वामी स्वात्माराम आसन को हठयोग के पहले अंग के रूप में मानते हैं । इसलिए सबसे पहले उसी का वर्णन करते हैं । आसन के वर्णन के साथ ही उससे मिलने वाले लाभ के बारे में बताते हुए कहते हैं कि आसन करने से स्थिरता, आरोग्यता ( रोगों का अभाव ) व शरीर के सभी अंगों में हल्कापन आता है ।

 

विशेष :- इस श्लोक में आसन करने से मिलने वाले मुख्य तीन लाभों का वर्णन किया गया है । जिनमें स्थिरता, आरोग्यता व अंगों में हल्कापन शामिल हैं ।

 

 वसिष्ठाद्यैश्च मुनिभिर्मत्स्येन्द्राद्यैश्च योगिभि: ।

अङ्गीकृतान्यासनानि कथ्यन्ते कानिचिन्मया ।। 20 ।।

 

भावार्थ :- ऋषि वसिष्ठ आदि व योगी मत्स्येंद्रनाथ आदि योगियों द्वारा मान्यता प्राप्त कुछ आसनों का वर्णन यहाँ पर मेरे द्वारा किया जा रहा है ।

 

विशेष :- यहाँ पर योगी स्वात्माराम ने अपने से पूर्व में हुए ऋषियों व योगियों द्वारा बताए गए आसनों को आधार रूप में स्वीकार किया है । इससे भी यह पता चलता है कि हठयोग साधना मुख्य रूप से गुरु- शिष्य परम्परा पर ही आधारित है ।

Related Posts

October 29, 2018

युवा वृद्धोऽतिवृद्धो वा व्याधितो दुर्बलोऽपि वा । अभ्यासात्सिद्धिमाप्नोति सर्वयोगेष्वतन्द्रित: ।। 66 ।।   भावार्थ ...

Read More

October 29, 2018

मिताहार   सुस्निग्धमधुराहारश्चतुर्थांशविवर्जित: । भुज्यते शिवसंप्रीत्यै मिताहार: स उच्यते ।। 60 ।।   भावार्थ ...

Read More

October 29, 2018

      पद्मासन द्वारा मुक्ति   पद्मासने स्थितो योगी नाडीद्वारेण पूरितम् । मारुतं धारयेद्यस्तु स ...

Read More

October 26, 2018

पद्मासन की विधि  वामोरूपरि दक्षिणं च चरणं संस्थाप्य वामं तथा दक्षोरूपरि, पश्चिमेन विधिना धृत्वा ...

Read More
Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked

  1. Very nice sir…
    Please make detail videos on anatomy for ugc net preparation…It is very much needed..
    Thanks

{"email":"Email address invalid","url":"Website address invalid","required":"Required field missing"}