वीतरागविषयं वा चित्तम् ।। 37 ।।
शब्दार्थ :- वा, ( इसके अतिरिक्त ) वीतराग, ( ऐसे योगी जिनके राग व द्वेष समाप्त हो चुके हैं ) विषयं, ( उनके चरित्र का अनुसरण करने से ) भी साधक का चित्त स्थिर होता है ।
सूत्रार्थ :- इसके अलावा ऐसे योगी साधक जिनके राग – द्वेष समाप्त हो चके हैं । उनका चित्त स्थिर होता है । इसलिए उन योगियों के चरित्र का पालन करने वाले साधकों का चित्त भी स्वंम ही स्थिर हो जाता है ।
व्याख्या :- इस सूत्र में चित्त को स्थिर करने के लिए योगियों का आश्रय लेने की बात कही है । वीतराग का अर्थ होता है वह योगी जिन्होंने योग साधना के द्वारा अपने चित्त को राग व द्वेष आदि क्लेशों से मुक्त कर लिया है ।
राग – द्वेष से मुक्त होने के कारण उन योगियों का चित्त निर्मल होकर स्थिरता को प्राप्त हो जाता है । इस प्रकार वीतराग योगियों के व्यवहार को देखकर साधक व्यक्ति उनसे प्रभावित होता हैं । और उनके जैसा ही बनने का प्रयत्न करता हैं । जिस प्रकार का व्यवहार वीतराग योगीजन करते हैं वैसा ही व्यवहार वह साधक करना आरम्भ करता हैं ।
जैसे – वीतराग योगी बह्म मुहर्त में उठकर योग की क्रियाओं का अभ्यास करते हैं । उनका आचरण करते हुए जिज्ञासु साधक भी बह्म महूर्त में उठकर योग का अभ्यास करने लगता है । ठीक इसी प्रकार जैसा भोजन वीतराग योगी करता है वैसा ही जिज्ञासु साधक करता है । ऐसा करने से वीतराग योगी की भाँति ही जिज्ञासु साधक का चित्त भी स्थिर होता है ।
इस विषय में कहा भी गया है कि “जैसी संगत वैसी रंगत” अर्थात जिस तरह के लोगों के साथ हमारा उठना- बैठना रहता है ठीक उसी तरह का हमारा व्यवहार बनता है ।
संगत को देखकर रंगत और रंगत को देखकर संगत का पता चलता है । यदि हम बुरे कर्म या बुरी आदतों वाले व्यक्तियों के साथ रहते हैं तो वह हमें भी बुरे कर्मों की ओर प्रेरित करतें हैं । और यदि हम अच्छे कर्म करने वाले सज्जन व्यक्तियों के साथ रहते हैं तो वह हमें अच्छे कर्मों की ओर प्रेरित करते रहते हैं ।
अतः हमें अपने चित्त की एकाग्रता के लिए उन योगी पुरुषों के सानिध्य में रहना चाहिए जो राग, द्वेष, लोभ, मोह आदि विकारों से मुक्त हो चुके हैं ।
?Prnam Aacharya ji! Bhut shi gyan jo stya lge. . Is shubh gyan ke liye Aapka dhanyavad aacharya ji !?
Thanku so much sir??
Thank you very much sir
बहुत बढ़िया गुरु जी
Pranaam Sir!?? So rightly said and it what we are trying to learn from you. Your positive post in the morning sets our schedule and motivates us to yoga Marg.
Good Morning Sir ji
Good Information to students
Thanks
Thank you sir
Thank you acharya ji