तीव्रसंवेगानामासन्न: ।। 21 ।।
शब्दार्थ :- तीव्र, ( तेज ) संवेगानाम्, ( साधन ) आसन्न:, ( समीप या पास में होना )
सूत्रार्थ :- जिन योगियों के अभ्यास और वैराग्य की गति अत्यंत तेज या ऊँची होती है । उन्हें उतनी ही जल्दी समाधि व समाधि के फल की प्राप्ति होती है ।
व्याख्या :- इस सूत्र में इस बात का वर्णन किया गया है कि अति शीघ्र ही समाधि व समाधि के फल की प्राप्ति कैसे व किन्हें होती है ? इसके लिए अत्यंत तेज साधन के प्रयोग की बात कही गई है । यहाँ पर कहा गया है कि ऐसी तेज या ऊँची साधना जिससे समाधि की प्राप्ति जल्द से जल्द हो सके व साथ ही समाधि का फल भी प्राप्त हो जाए । ऐसी तीव्र योग साधना तो केवल अभ्यास और वैराग्य की ही है । जिससे शीघ्र ही समाधि के निकट पहुँच कर समाधि का फल भी प्राप्त किया जा सकता है ।
यहाँ पर संवेग शब्द का अर्थ योग साधना से लिया गया है । जो साधक योग मार्ग में प्रयुक्त ( प्रयोग ) होने वाले साधनों ( अभ्यास, वैराग्य, विवेक आदि ) का प्रयोग पूरी तीव्रता, तत्परता, अधिकता, व निरन्तरता के साथ करता है । उसे समाधि का लाभ उतनी ही शीघ्रता से मिलता है
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नोट :- इस सूत्र में तीव्र का अर्थ यह नही है कि योग साधना को तेज गति के साथ किया जाए । कुछ व्यक्तियों का मानना है कि इस सूत्र में यौगिक क्रियाओं जैसे- आसन, प्राणायाम, मुद्रा, बंध आदि को जल्दी- जल्दी ( तेज गति / स्पीड ) से करने की बात कही गयी है । लेकिन यहाँ तीव्रता का अर्थ यह बिल्कुल भी नही है । इसे तो उतावलापन कहते हैं । तीव्र का अर्थ योग साधना के अभ्यास में पूरी तत्परता के साथ आरूढ़ ( कमर कस के लगना ) होकर अधिक समय के साथ- साथ निरन्तरता पूर्वक योग साधना का अभ्यास करना होता है ।
कोई भी साधक जब योग साधना को पूरी तत्परता के साथ, अधिक समय देकर व निरन्तरता के साथ करता है । तब ऐसा तीव्र संवेग वाला अभ्यास करने से अति शीघ्र ही समाधि की प्राप्ति व समाधि का लाभ दोनों प्राप्त होते हैं ।
उदाहरण स्वरूप :- जब कोई व्यक्ति किसी कार्य के प्रति पूरी तरह से समर्पित हो कर कार्य करता है । तब उस कार्य के पूर्ण होने की सम्भावना शत प्रतिशत ( 100% ) हो जाती है । कार्य के प्रति समर्पित होने के लिए कुछ नियमों का पालन करना आवश्यक होता है । जिनमें इच्छा शक्ति, उत्साह, दिलचस्पी, निरन्तरता, विश्वास आदि प्रमुख हैं । यें ही वह साधन हैं जिनके बल पर कार्य की सिद्धि होती है । फिर चाहे कोई खिलाड़ी अपने खेल में इसका पालन करे, विद्यार्थी अपनी पढ़ाई में, व्यवसायी अपने व्यवसाय में, किसान अपने खेतों में, योगी अपनी योग साधना में । जो भी जहाँ भी इस तीव्र संवेग का पालन करेगा वो वहीं पर उस क्षेत्र में सफलता प्राप्त करेगा ।
इसलिए कहा गया है कि जिनके साधन की गति तीव्र है उनको समाधि व समाधि के फल की प्राप्ति अति शीघ्र होती है ।
?प्रणाम आचार्य जी! इन आशीर्वचनों से पुनः पुनः हमे प्रेरित करने के लिए आपको बारम्बार प्रणाम आचार्य जी ? ।। धन्यवाद!
The way u teach us is great sir thanku so much sir??
ॐ गुरुदेव!
हम सबको अपने अमृत वचनों से अभिसिंचत करने हेतु
आपको कोटि_ कोटि धन्यवाद।
??Very helpful sir!
Thank guru ji for accurate meaning of tiver and how it different from fastness
Thanks again sir