पुरोधसां च मुख्यं मां विद्धि पार्थ बृहस्पतिम्‌ ।
सेनानीनामहं स्कन्दः सरसामस्मि सागरः ।। 24 ।।

 

 

 

व्याख्या :-  हे पार्थ ! पुरोहितों में मुझे मुख्य पुरोहित बृहस्पति जानो, सेनापतियों अथवा सेनानायकों में मैं कार्तिकेय हूँ और जलाशयों में मैं समुद्र हूँ ।

 

 

महर्षीणां भृगुरहं गिरामस्म्येकमक्षरम्‌ ।
यज्ञानां जपयज्ञोऽस्मि स्थावराणां हिमालयः ।। 25 ।।

 

 

व्याख्या :-  महर्षियों में मैं भृगु हूँ, शब्दों में मैं ओंकार हूँ, सभी यज्ञों में मैं जपयज्ञ हूँ और स्थिर रहने वालों में मैं हिमालय पर्वत हूँ ।

 

 

अश्वत्थः सर्ववृक्षाणां देवर्षीणां च नारदः ।
गन्धर्वाणां चित्ररथः सिद्धानां कपिलो मुनिः ।। 26 ।।

 

 

 

व्याख्या :-  सभी वृक्षों में मैं पीपल हूँ और देवर्षियों में मैं नारद हूँ । गन्धर्वों में मैं चित्ररथ हूँ तथा सभी सिद्धों में मैं कपिल मुनि हूँ ।

 

 

उच्चैःश्रवसमश्वानां विद्धि माममृतोद्धवम्‌ ।
एरावतं गजेन्द्राणां नराणां च नराधिपम्‌ ।। 27 ।।

 

 

व्याख्या :-  अश्वों अथवा घोड़ों में मुझे उच्चै:श्रवा नामक अश्व समझो, हाथियों में ऐरावत और मनुष्यों में मुझे राजा समझो ।

 

 

विशेष :-  घोड़ों में उच्चै:श्रवा सबसे उच्च श्रेणी का घोड़ा होता है, इसी प्रकार ऐरावत को सबसे श्रेष्ठ हाथी व आदमियों में सबसे श्रेष्ठ राजा माना जाता है ।

Related Posts

September 24, 2019

नान्तोऽस्ति मम दिव्यानां विभूतीनां परन्तप । एष तूद्देशतः प्रोक्तो विभूतेर्विस्तरो मया ।। 40 ।। ...

Read More

September 24, 2019

द्यूतं छलयतामस्मि तेजस्तेजस्विनामहम्‌ । जयोऽस्मि व्यवसायोऽस्मि सत्त्वं सत्त्ववतामहम्‌ ।। 36 ।।     व्याख्या ...

Read More

September 24, 2019

सर्गाणामादिरन्तश्च मध्यं चैवाहमर्जुन । अध्यात्मविद्या विद्यानां वादः प्रवदतामहम्‌ ।। 32 ।।     व्याख्या ...

Read More

September 24, 2019

आयुधानामहं वज्रं धेनूनामस्मि कामधुक्‌ । प्रजनश्चास्मि कन्दर्पः सर्पाणामस्मि वासुकिः ।। 28 ।।     ...

Read More
Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked

{"email":"Email address invalid","url":"Website address invalid","required":"Required field missing"}