वेदानां सामवेदोऽस्मि देवानामस्मि वासवः ।
इंद्रियाणां मनश्चास्मि भूतानामस्मि चेतना ।। 22 ।।
व्याख्या :- वेदों में मैं सामवेद हूँ, देवताओं में मैं इन्द्र हूँ, इन्द्रियों में मैं मन हूँ और प्राणियों में मैं चेतना हूँ ।
विशेष :-
- भगवान ने स्वयं को वेदों में कौनसा वेद कहा है ? उत्तर है- सामवेद ।
- देवों में किस देव से अपनी तुलना की है ? उत्तर है – इन्द्र से ।
- अपने आप को इन्द्रियों में क्या बताया है ? उत्तर है- मन ।
- परमात्मा सभी प्राणियों में किस रूप में विद्यमान हैं ? उत्तर है- चेतना के रूप में ।
रुद्राणां शङ्करश्चास्मि वित्तेशो यक्षरक्षसाम् ।
वसूनां पावकश्चास्मि मेरुः शिखरिणामहम् ।। 23 ।।
व्याख्या :- ग्यारह रुद्रों में मैं शंकर हूँ, और यक्षों तथा राक्षसों में मैं कुबेर हूँ । आठ वसुओं में मैं अग्नि हूँ और ऊँचे पर्वतों में मैं सुमेरु पर्वत हूँ ।
विशेष :-
ग्यारह रुद्र :-
- हर
- बहुरूप
- त्र्यम्बक
- अपराजित
- वृषाकपि
- शंकर
- कपर्दी
- रैवत
- मृगव्याध
- शर्व व
- कपाली ।
- कुल कितने रुद्र होते हैं और उनमें से सबसे मुख्य किसे माना गया है ? उत्तर है – कुल ग्यारह ( 11 ) रुद्र हैं और उनमें से शंकर को मुख्य माना गया है ।
सबसे ऊँचा पर्वत किसे माना गया है ? उत्तर है- सुमेरु पर्वत को ।