ॐ तत् सत् = ब्रह्म स्वरूप   ॐ तत्सदिति निर्देशो ब्रह्मणस्त्रिविधः स्मृतः । ब्राह्मणास्तेन वेदाश्च यज्ञाश्च विहिताः पुरा ।। 23 ।। तस्मादोमित्युदाहृत्य यज्ञदानतपः क्रियाः । प्रवर्तन्ते विधानोक्तः सततं ब्रह्मवादिनाम्‌ ।। 24 ।।       व्याख्या :-  ‘ॐ तत् सत्’ नामक तीन शब्दों द्वारा ब्रह्म को निर्देशित किया गया है अर्थात् ब्रह्म को इन तीन

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Bhagwad Geeta Ch. 17 [23-25]

सत् = सत्य ( सर्वहितकारी )   सद्भावे साधुभावे च सदित्यतत्प्रयुज्यते । प्रशस्ते कर्मणि तथा सच्छब्दः पार्थ युज्यते ।। 26 ।।       व्याख्या :-  सत् शब्द का प्रयोग साधुभाव अर्थात् सबकी भलाई व सत्य के रूप में किया जाता है तथा सभी उत्तम अथवा श्रेष्ठ कार्यों के लिए भी सत् शब्द का प्रयोग

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Bhagwad Geeta Ch. 17 [26-28]