राजयोग की उपयोगिता    राजयोगं विना पृथ्वी राजयोगं विना निशा । राजयोगं विना मुद्रा विचित्रापि न शोभते ।। 126 ।।   भावार्थ :- राजयोग के बिना सम्पूर्ण सुखों से भरी इस पृथ्वी का कोई प्रयोजन नहीं, न ही बिना राजयोग के रात्रि का कोई औचित्य है और बिना राजयोग के अनेक प्रकार की मुद्राएं भी

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Hatha Pradipika Ch. 3 [126-130]