चौथा अध्याय ( प्रत्याहार वर्णन )   चौथे अध्याय में महर्षि घेरण्ड ने प्रत्याहार का वर्णन किया है । प्रत्याहार को इन्होंने योग के चौथे अंग के रूप में माना है । प्रत्याहार के पालन से साधक को धैर्य की प्राप्ति होती है अर्थात् धैर्य को प्रत्याहार का फल बताया गया है ।  

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Gheranda Samhita Ch. 4 [1-5]