प्रयत्नाद्यतमानस्तु योगी संशुद्धकिल्बिषः । अनेकजन्मसंसिद्धस्ततो यात परां गतिम् ।। 45 ।। व्याख्या :- इस प्रकार जो योगी पूर्ण रूप से प्रयत्नशील होकर अथवा पूर्ण मनोयोग से अभ्यास करता है, वह सभी पापों से मुक्त होकर अनेक जन्मों द्वारा बहुत सारी सिद्धियाँ प्राप्त करके, परमगति अर्थात् मोक्ष को प्राप्त कर लेता है । …
- Home
- |
- Category: Bhagwad Geeta – 6