या निशा सर्वभूतानां तस्यां जागर्ति संयमी । यस्यां जाग्रति भूतानि सा निशा पश्यतो मुनेः ।। 69 ।। व्याख्या :- जो सामान्य जनों ( लोगों ) के लिए रात्रि है । जिसमें वह विश्राम करते हैं । संयमी ( ज्ञानवान ) व्यक्ति अथवा योगी के लिए वह दिन की तरह होती है अर्थात् जिस समय …
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- Category: Bhagwad Geeta – 2