यः शास्त्रविधिमुत्सृज्य वर्तते कामकारतः । न स सिद्धिमवाप्नोति न सुखं न परां गतिम् ।। 23 ।। व्याख्या :- इसके विपरीत जो व्यक्ति शास्त्र विधि को छोड़कर अपनी इच्छानुसार व्यवहार करता है, तो उसे न सिद्धि मिलती है, न सुख मिलता है और न ही परमगति प्राप्त होती है । कार्य …
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- Category: Bhagwad Geeta – 16