उत्तम पुरुष = ईश्वर ( परमात्मा ) उत्तमः पुरुषस्त्वन्यः परमात्मेत्युदाहृतः । यो लोकत्रयमाविश्य बिभर्त्यव्यय ईश्वरः ।। 17 ।। व्याख्या :- इन दोनों पुरुषों से भिन्न उस उत्तम पुरुष को परमात्मा कहते हैं, जो तीनों लोकों में प्रवेश करके उनका पोषण करता है, उसी अविनाशी पुरुष को ईश्वर कहते हैं । …
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- Category: Bhagwad Geeta – 15