श्रीमद्भगवद्गीता परिचय   श्रीमद्भगवद्गीता भारत ही नहीं अपितु पूरे विश्व में सबसे ज्यादा पढ़ा जाने वाला आध्यात्मिक ग्रन्थ है । विश्व की लगभग सभी भाषाओं में इसका अनुवाद हो चुका है । गीता में ज्ञानयोग, भक्तियोग, कर्मयोग व राजयोग के अतिरिक्त समत्वं योग, सन्यास योग, सांख्य योग, श्रद्धात्रय योग व मोक्ष का अद्भुत संगम है

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Geeta Introduction – श्रीमद्भगवद्गीता परिचय

गीता के अठारह अध्यायों का संक्षिप्त परिचय गीता का पूरा ज्ञान इसके अठारह अध्यायों में विभक्त है । अलग- अलग अध्याय में अलग- अलग प्रकार के योग की चर्चा की गई है । एक बार हम इसके सभी अध्यायों का नाम जान लेते हैं । उसके बाद प्रत्येक अध्याय के प्रमुख विषयों का संक्षिप्त वर्णन

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Geeta Introduction – 1

दूसरा अध्याय ( सांख्ययोग ) गीता के दूसरे अध्याय से श्रीकृष्ण अर्जुन के विषाद का उपचार करना आरम्भ करते हैं । श्रीकृष्ण द्वारा गीता का ज्ञान इसी अध्याय से शुरू होता है । इसमें श्रीकृष्ण सांख्य योग के आधार पर अर्जुन को युद्ध की अनिवार्यता के लिए अनेक तर्क देते हैं । ज्ञान की दृष्टि

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Geeta Introduction – 2

तीसरा अध्याय ( कर्मयोग ) गीता का तीसरा अध्याय कर्मयोग पर आधारित है । जिसमें श्रीकृष्ण कर्म की अनिवार्यता पर प्रकाश डालते हैं । इसमें कुल तैतालीस ( 43 ) श्लोकों का वर्णन किया गया है । इस अध्याय में अर्जुन के मन में कर्म को लेकर कई प्रकार के द्वन्द्व चल रहे थे ।

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Geeta Introduction – 3

चौथा अध्याय ( ज्ञान – कर्म सन्यासयोग ) चौथे अध्याय में मुख्य रूप से कर्म व ज्ञान का उपदेश दिया गया है । इसमें कुल बयालीस ( 42 ) श्लोकों का वर्णन किया गया है । इस अध्याय के आरम्भ में ही श्रीकृष्ण योग की पुरातन परम्परा का परिचय देते हुए कहते हैं कि यह

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Geeta Introduction – 4

पाँचवा अध्याय ( कर्म सन्यासयोग ) इस अध्याय में मुख्य रूप से कर्मयोग व कर्मसन्यास योग की चर्चा की गई है । इसमें कुल उन्नतीस ( 29 ) श्लोकों का वर्णन है । इस अध्याय में कर्मयोग व सांख्ययोग को एक ही प्रकार का योग बताया है । जब अर्जुन पूछते हैं कि कर्मयोग व

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Geeta Introduction – 5

छठा अध्याय ( आत्मसंयम योग ) इस अध्याय में योग में सहायता प्रदान करने वाले कारकों का वर्णन करते हुए कहा है कि मनुष्य स्वयं ही अपनी आत्मा का मित्र व शत्रु होता है । व्यक्ति को सदैव अपनी आत्मा का उत्थान करना चाहिए । इसके लिए उसे अपनी इन्द्रियों को उनके विषयों से विमुख

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Geeta Introduction – 6