अथ योगानुशासनम् ।।( योगसूत्र 1/1) शब्दार्थ– (अथ ) अब, ( योगानुशासनम् ) योग के अनुशासन का प्रतिपादन ।   सूत्रार्थ– अब योग के अनुशासन अर्थात स्वरूप को बताने वाले ग्रन्थ / शास्त्र को प्रारम्भ किया जाता है।   व्याख्या: योग शब्द का अर्थ वैसे तो बहुत व्यापक है, लेकिन यहा पर योग का अर्थ समाधि

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Yoga sutra -1

योगश्चितवृत्तिनिरोधः ।। 2 ।। शब्दार्थ :- योग ( समाधि ) चित्त ( चित्त अन्तः करण का ही एक अंग है। जिसमें  मन, बुद्धि, अहंकार, और चित्त  होते है।  इन सभी अंगों में एकमात्र चित्त ही है जिसमें संस्कारों  का संग्रह होता है ) वृत्ति = “ वर्ततेऽनया इति वृतिः ” अर्थात जिनसे प्रेरित होकर व्यक्ति

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Yoga Sutra – 2

तदा द्रष्टु: स्वरूपेऽवस्थानम् ।। 3 ।।   शब्दार्थ :- तदा ( तब ) द्रष्टु ( द्रष्टा, जीवात्मा की ) स्वरूपे ( अपने वास्तविक स्वरूप में ) अवस्थानम् ( अवस्थिति, स्थिति होती है )   सूत्रार्थ :- जब योगी अपनी सभी चित्त वृतियों का सर्वथा निरोध कर देता है तो उसे समाधि की प्राप्ति  होती है।

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Yoga Sutra – 3

वृत्तिसारूप्यमितरत्र  ।। 4 ।।   शब्दार्थ :-  इतरत्र ( इससे दूसरी अवस्था में ) वृत्तिसारूप्यम् ( वृत्तियों के समान रूप वाला होता है। )   सूत्रार्थ :- इससे दूसरी अवस्था में जब दृष्टा ( जीवात्मा ) को अपने वास्तविक स्वरूप का ज्ञान नही होता है। उस समय दृष्टा अपनी चित्तवृत्तियों के अनुरूप ही अपना स्वरूप

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Yoga Sutra – 4

वृत्तय: पञ्चतय्य: क्लिष्टाक्लिष्टा: ।। 5 ।।   शब्दार्थ :- वृत्तय: ( वृत्तियाँ ) पञ्चतय्य ( पाँच प्रकार की ) क्लिष्टा ( क्लेशों या कष्टों को उत्पन्न करने वाली ) अक्लिष्टा: ( क्लेशों या कष्टों को नष्ट करने वाली )   सूत्रार्थ :- इस सूत्र में वृत्तियों की संख्या पाँच बताई गई है । पाँचों वृत्तियों

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Yoga Sutra – 5

प्रमाणविपर्ययविकल्पनिद्रास्मृतय: ।। 6 ।। शब्दार्थ :- प्रमाण, ( यथार्थ ज्ञान ) विपर्यय, ( मिथ्या अर्थात विपरीत ज्ञान ) विकल्प, ( कल्पना करना ) निद्रा, ( जागृत एवं स्वप्न्न से रहित तीसरी अवस्था ) स्मृति, ( भूतकाल के अनुभवों को पुनः याद करना )   सूत्रार्थ :- इस सूत्र में प्रमाण, विपर्यय, विकल्प, निद्रा, और स्मृति

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Yoga Sutra – 6

 प्रत्यक्षानुमानागमा: प्रमाणानि ।। 7 ।। शब्दार्थ :- प्रत्यक्ष, ( जो हमारी आँखों के सामने घटित हो रहा है। ) अनुमान, ( किसी के सम्बन्ध में अटकल, अंदाजा या कयास लगाना ) आगम, ( वेद – शास्त्रों द्वारा उपदेशित शब्द या गुरु वाक्य )   सूत्रार्थ :- इस सूत्र में प्रमाण वृत्ति के तीन प्रकार बताएं

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Yoga Sutra – 7