पुरुषार्थशून्यानां गुणानां प्रतिप्रसव: कैवल्यं स्वरूपप्रतिष्ठा वा चितिशक्तिरिति ।। 34 ।। शब्दार्थ :- पुरुषार्थ ( जीवन के प्रयोजन या लक्ष्य से ) शून्यानां ( शून्य अर्थात रहित हुए ) गुणानाम् ( गुणों का ) प्रतिप्रसव: ( अपने कारण में लीन अर्थात वापिस मिल जाना ही ) कैवल्यम् ( कैवल्य अर्थात मुक्ति है ) वा ( …
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- Category: Kaivalya Paad