पुरुषार्थशून्यानां गुणानां प्रतिप्रसव: कैवल्यं स्वरूपप्रतिष्ठा वा चितिशक्तिरिति ।। 34 ।।    शब्दार्थ :- पुरुषार्थ ( जीवन के प्रयोजन या लक्ष्य से ) शून्यानां ( शून्य अर्थात रहित हुए ) गुणानाम् ( गुणों का ) प्रतिप्रसव: ( अपने कारण में लीन अर्थात वापिस मिल जाना ही ) कैवल्यम् ( कैवल्य अर्थात मुक्ति है ) वा (

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Yoga Sutra 4 – 34

क्षणप्रतियोगी परिणामापरान्तनिर्ग्राह्य: क्रम: ।। 33 ।।   शब्दार्थ :- क्षण ( पलों के ) प्रतियोगी ( समूह पर आधारित व ) परिणाम ( उसके परिणाम अथवा फल के ) अपरान्त ( समाप्त होने या बन्द होने पर ) निर्ग्राह्य: ( जिसको जाना जाता है ) क्रम: ( वही क्रम कहलाता है )   सूत्रार्थ :- पलों

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Yoga Sutra 4 – 33

तत: कृतार्थानां परिणामक्रमसमाप्तिर्गुणानाम् ।। 32 ।।     शब्दार्थ :- तत: ( उसके अर्थात धर्ममेघ समाधि के प्राप्त होने के पश्चात ) कृतार्थानाम् ( अपने सभी भोग व अपवर्ग रूपी कार्यों के पूरा करने वाले ) गुणानाम् ( गुणों के ) परिणामक्रम ( परिणामों के क्रम अर्थात उनके उत्पत्ति क्रमों की ) समाप्ति: ( समाप्ति

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Yoga Sutra 4 – 32

तदा सर्वावरणमलापेतस्य ज्ञानस्यानन्त्याज्ज्ञेयमल्पम् ।। 31 ।।   शब्दार्थ :- तदा ( तब अर्थात क्लेशों व सकाम कर्मों के समाप्त होने पर ) सर्व ( सभी ) आवरण ( ढके हुए ) मल ( अज्ञान रूपी मल अर्थात गन्दगी ) अपेतस्य ( हट चुके हैं या दूर हो चुके हैं ) ज्ञानस्य ( ऐसे विशुद्ध ज्ञान

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Yoga Sutra 4 – 31

तत: क्लेशकर्मनिवृत्ति: ।। 30 ।।   शब्दार्थ :- तत: ( उस अर्थात उस धर्ममेघ नामक समाधि से ) क्लेश ( अविद्या आदि पंच क्लेशों व ) कर्म ( कर्म संस्कारों की ) निवृत्ति: ( समाप्ति हो जाती है )     सूत्रार्थ :- उस धर्ममेघ नामक समाधि के प्राप्त होने से योगी के सभी अविद्या

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Yoga Sutra 4 – 30

प्रसंख्यानेऽप्यकुसीदस्य सर्वथा विवेकख्यातेर्धर्ममेघ: समाधि: ।। 29 ।।     शब्दार्थ :- प्रसंख्याने ( बुद्धि व आत्मा की भिन्नता का ज्ञान अर्थात विवेकख्याति के प्राप्त होने पर ) अपि ( भी ) अकुसीदस्य ( सिद्धियों या विभूतियों में वैराग्य उत्पन्न हो जाता है ) सर्वथा ( पूरी तरह से ) विवेकख्याते: ( विवेकख्याति के प्राप्त होने

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Yoga Sutra 4 – 29

हानमेषां क्लेशवदुक्तम् ।। 28 ।।   शब्दार्थ :- एषाम् ( इन अर्थात इन पूर्व जन्म के संस्कारों का ) हानम् ( नाश ) क्लेशवत् ( क्लेशों की तरह ही ) उक्तम् ( होना कहा गया है )     सूत्रार्थ :- इन सभी पूर्व जन्म के संस्कारों का नाश भी क्लेशों की तरह ही होगा

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Yoga Sutra 4 – 28