युवा वृद्धोऽतिवृद्धो वा व्याधितो दुर्बलोऽपि वा । अभ्यासात्सिद्धिमाप्नोति सर्वयोगेष्वतन्द्रित: ।। 66 ।। भावार्थ :- युवा अर्थात जवान, बूढ़ा या बहुत बूढ़ा, रोगी हो या कमजोर । जो साधक आलस्य को त्यागकर योग का अभ्यास करता है । वह योग की सभी क्रियाओं में सिद्धि प्राप्त करता है । अभ्यास से ही सिद्धि प्राप्ति …
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- Category: hatha pradipika 1