छटा अध्याय ( ध्यान वर्णन ) घेरण्ड संहिता के छठे अध्याय में ध्यान योग का उपदेश दिया गया है । महर्षि घेरण्ड ने ध्यान की तीन अवस्थाएँ ( स्थूल ध्यान, ज्योतिध्यान व सूक्ष्म ध्यान ) मानी हैं । ध्यान का प्रतिफल बताते हुए कहा है कि ध्यान के अभ्यास से योगी साधक को अपना स्वयं

Read More
Gheranda Samhita Ch. 6 [1-8]

प्रकारान्तरेण स्थूल ध्यान वर्णन   सहस्त्रारे महापद्मे कर्णिकायां विचिन्तयेत् । विलग्नसहितं पद्मं द्वादशैर्दलसंयुतम् ।। 9 ।। शुक्लवर्णं महातेजो द्वादशैर्बीज भाषितम् । हसक्षमलवरयूं हसखफ्रें यथाक्रमम् ।। 10 ।। तन्मध्ये कर्णिकायां तु अकथादि रेखात्रयम् । हलक्षकोणसंयुक्तं प्रणवं तत्र वर्तते ।। 11 ।। नादबिन्दुमयं पीठं ध्यायेत्तत्र मनोहरम् । तत्रोपरि हंसयुग्मं पादुका तत्र वर्तते ।। 12 ।। ध्यायेत्तत्र गुरुं

Read More
Gheranda Samhita Ch. 6 [9-17]

सूक्ष्म ध्यान वर्णन   तेजोध्यानं श्रुतं चण्ड सूक्ष्मध्यानं श्रृणुष्व मे । बहुभाग्यवशाद् यस्य कुण्डली जाग्रती भवेत् ।। 18 ।। आत्मना सहयोगेन नेत्ररंध्राद्विनिर्गता । विहरेद् राजमार्गे च चञ्चलत्वान्न दृश्यते ।। 19 ।। शाम्भवीमुद्रया योगी ध्यानयोगेन सिध्यति । सूक्ष्मध्यानमिदं गोप्यं देवानामपि दुर्लभम् ।। 20 ।।     भावार्थ :-  हे चण्ड! तेजोमय ध्यान ( ज्योति ध्यान )

Read More
Gheranda Samhita Ch. 6 [18-22]